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किसान की समस्या सुलझाने को कृषि ज्ञान जरुरी है

Monday, July 29, 20130 comments

नानोसा हुकुम अक्सर बताया करते थे किसी भी जन समस्या को वही व्यक्ति सुलझा सकता है जिसे उस समस्या से सम्बंधित कार्य का गहरा ज्ञान हो, यदि ज्ञान नहीं हो तो समस्या सुलझाने के लिए जिम्मेदार व्यक्ति को उस कार्य क्षेत्र को पहले सही समझना चाहिये, खुद उस कार्य को करने का अनुभव लेना चाहिये तभी उस कार्य को करने वालों की समस्याओं से रूबरू हुआ जा सकता है, उन्हें समझ कर समस्याओं को सुलझाने हेतु कार्य योजना बनाई जा सकती है|

नानोसा हुकुम किसानों से जब मिलते थे तो किसान अपनी समस्या बताना शुरू करते ही वे समझ जाते, कृषि कार्य पर चर्चा करते हुए किसी भी किसान को लगता था कि वो एक राजनेता की जगह किसान से ही बात कर रहा है| और बात करने के बाद किसान आश्वस्त हो जाते थे कि अब उसकी समस्या का समाधान अवश्य होगा|

नानोसा हुकुम किसानों की हर समस्या से वाकिफ थे, और समस्या का समाधान किसान हित में कैसे हो उसे वे बेहतर जानते थे, कृषि कार्य का उन्हें गहन ज्ञान था क्योंकि उन्होंने अपने हाथों से कृषि कार्य किया हुआ था, जिसे वे अक्सर याद करते थे|

एक स्कूल प्रिंसीपल के पुत्र होने के बावजूद स्कूल कालेज की पढाई के बाद नानोसा हुकुम खुद अपने खेतों में कृषि कार्य करते थे, अपने खेत में होने वाला कोई कृषि कार्य ऐसा नहीं होगा जो नानोसा हुकुम ने ना किया हो|

नानोसा हुकुम के परम मित्र राजस्थानी भाषा के मूर्धन्य साहित्यकार व इतिहासकार आदरणीय ठा.सौभाग्य सिंह जी शेखावत, भगतपुरा ने नानोसा हुकुम द्वारा किये गये कृषि कार्य का काव्य विवरण इस तरह किया -

महामहिम रो करसण

हलधर बण हांकियो, सूड़ काटियो खेत |
क्यारां में पाणत करी,कड़व डूचड़ी सेत ||

कूप सींच पय काढियो, करी लावणी फेर |
किल्यो बण बारयो बणया, दिया घास रा ढेर||


सिट्टी डूच खलियान में, गाठौ पण गाह्योह|
करसण हाथां करण सूं, खेत विज्ञान आयोह||

चिड़स झेल वारा लियण,समझयो सदा सुकाम|
इण विध करसण आप कर, पूरी मन री हांम||


हल रो चोट्यो हाथ में, कड़यां बिजोल्यो बाँध|
बीज्या मोठ'र बाजरो, सीध आवड़ी साथ||

हल हांकै करसण करै, चारै गाडर गाय|
ले भालो घोडै चढे, क्षत्री खोड़ न खाय ||



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